Jan 26, 2011

Veer Maa Ko Naman


वीर माँ…………
तुझको नमन है तुझसे चमन है ,
तुझसे ये धरा, तुझसे ये गगन है
हर वीर क़ी मातृ को
सर्वस्व शत शत नमन है
वीर माँ क़ी लहु का लौह
आब वीरता क़ी आन है
वीर माँ क़ी ममता का समर्पण
अब देश भक्ति का परीणाम है!
वीर माँ के सत्य का प्रतीक
अब ये सजग वीर महान है
वीर माँ के मन का धैर्य
अब अडिग निडर क़ी शान है !
वीर माँ के वचन क़ी प्रेरणा
अब वीर क़ी शपथ क़ी शान है !
वीर माँ के हर स्वरूप पर
हर पुत्र को अभिमान है!
वीर माँ का निस्चल स्वभाव
हर शहीद क़ी पहचान है!
वीर माँ के कृतग्य हम है
जिस से हर जॅन मे जान है
तुझसे ये धरती, तुझसे ये सुख है
सम्भव सब त्योहार है!
वीर माँ तेरे चरणो मे हर पुत्र का प्रणाम है
……. हर पुत्र का प्रणाम 
SALUTING TO BRAVE MOTHERS !!!!!!
WO HAI TO ….YE VEER SAINIK HAI …..
AUR JAB TAK YE VEER SAINIK HAI TAB TAK HAM HAI…..SURAKSHIT AUR SAMMANIIT APNI DESH KI DHARTI PAR
JAI HIND………
JAI MAA……….
JAI BHARAT ………

Jan 3, 2011

Shayad Jeet Jaaun..Shayad Haar Jaaun

शायद जीत जाऊं ......शायद हार जाऊं
शायद जीत जाऊं 
शायद हार जाऊं
मन में ऐसी कौन सी रीत लाऊं 
दुःख के आँचल मे कौन सा मीत लाऊं
मै खुश थी अपने अरमानो के आशियाने मे
बस सोचती और कितने अपने पर फैलाऊं
मुझे दिखते मेरे आसमान के और कैसे करीब जाऊं

शायद जीत जाऊं 
शायद हार जाऊं
मन में ऐसी कौन सी रीत लाऊं 
मन की उडती धूल को किन बूंदों ने बैठा दिया
अब शायद ही मेरा रास्ता मै तो ढूंढ़ पाऊँ
कुछ टूट कर बिखरता सा मेरी आँखों से बह गया
कुछ दर्द मे सिमटता सा कहीं आह मे रह गया
मेरी कोशिश के पर है अभी ठन्डी बर्फ जैसे 
डर है मुझे की दर्द की तपिश मे कहीं गल के ना रह जाऊं
मुझे दिखते मेरे आसमान के और कैसे करीब जाऊं
अंतर्वेदना मेरे मन की 
अंतर्द्वंद मेरे जेहन की
शायद जीत जाऊं 
शायद हार जाऊं
मन में ऐसी कौन सी रीत लाऊं 
दुःख के आँचल मे कौन सा मीत लाऊं


(all of us have dreams and we all face tough moments in life following our dreams, here the poem says the same how the ups and downs come in life , we get tear in eyes and pain but never allow tear of heart in follow up of our dream becoz we all love it more than anything else. We keep follow up of our dreams ready to face face unknown hurdles and obstacles)